दशहरे को विजयदशमी भी कहा जाता है। इस दिन अच्छाई की बुराई पर जीत हुई थी। सभी लोग dussehra के त्यौहार को बड़ी ही धूम- धाम से मनाया जाता है। सिर्फ किसी एक जगह पर नहीं बल्कि इस त्यौहार को पुरे भारत देश में और अलग- अलग देशो में भी मनाया जाता है। इस दिन हर व्यक्ति को अपने अंदर की एक बुराई को ख़त्म करने का पर्ण लेना चाहिए ताकि हर व्यक्ति अपनी आंतरिक बुराई पर विजय पा सके। और अपनी जिंदगी की हसी खुसी जी सके।
Introduction DUssehra
दशहरे को अच्छाई की बुराई पर जीत की खुसी में मनाया जाता है। दशहरे के पीछे एक बहुत ही अद्भुत कहानी है। इस दिन श्रीरामचन्द्रजी ने अहंकारी रावण का वध करके उसके अंहकार को नस्ट किया था। श्रीरामजी राजा दशरथ के पुत्र थे और उनकी माता का नाम केकयी था। जिनकी वजह से उन्हें 14 वर्ष के वनवास के लिए वन में जाना पड़ा था।
वन में जाना तो सिर्फ श्रीराम को था लेकिन उनके छोटे भाई जिनका नाम लक्ष्मण था वो भी जिद करके अपनी बड़े भाई के साथ वन में चल दिए। और एक पत्नी होने के नाते माता सीता भी श्रीराम के साथ वन में चली गयी।
वनवास के दौरान अपनी बहन के अपमान का बदला लेने के कारण रावण ने माता सीता का अपहरण कर लिया। और उन्हें बंदी बनाकर अपने महल में ले आया। श्रीराम माता सीता को ढूंढ़ते हुए रावण के महल तक पहुंचे और माता सीता को रावण के चुंगल से छुड़ाने के लिए एक युद्ध भी किया।
जिसमें श्रीराम का साथ हनुमानजी वानरसेना और रावण के भाई विभीषण ने दिया था। रावण को भ्रामण का पुत्र होने के कारण उसे बहुत से वेदो का ज्ञान था और क्युकी उसकी माता राक्षस प्रजाति की थी तो उसमें कुछ गुण राक्षस के भी थे। सोने की लंका और इतना शक्तिशाली भाई कुम्ब्करण होने के कारण भी रावण सिर्फ अपने अहंकार के कारण इस युद्ध में हार गया था।
जिस दिन श्रीराम ने रावण को मारा था वो दिन विजयदशमी का दिन था जिसे अच्छे की बुराई पर जीत की खुसी में मनाया जाने लगा। समय के साथ साथ इसका नाम बदलकर दशहरा रख दिया गया। और श्रीराम जी मातासिता और लसकमण भाई के साथ 21 दिन बाद आयोध्या वापिस लुटे थे जिन्हे हम भारतीय आजतक दीपावली के रूप में मनाते आ रहे है।
Dussehra 2021 Date
दशहरे को विजयदशमी के रूप में इसलिए मनाया जाता है क्युकी अश्वनी माह की शुक्ल पक्ष की दसमी को रावण क वध हुआ था। जिससे इसका नाम विजयदशमी रख दिया गया। साल 2021 में यह पर्व 15 अक्तूबर के दिन मनाया जायेगा। भारत देश में बहुत सी जगह पर रावण के पुतले को जलाकर अच्छाई की बुराई पर जीत मनाई जाती है। लेकिन वही भारत में बहुत सी जगह ऐसी भी है झा रावण को न जलाकर उसकी पूजा की जाती है।
Dussehra Festivale mela
दशहरा नवरात्री के नोंदिनों के बाद में दसमें दिन आता है। इस दिन जहा पर रामलीला आयोजित की जाती है वह पर बहुत ही आकर्षक मेला लगाया जाता है। इस दिन सभी लोग अपनी रोजी- रोटी जिससे उनका घर चलता है। उनकी पूजा करते है और उन्हें साफ़ करके रखते है। जैसे- किसान अपनी नई फसल की पूजा करता है। और कोई वर्कर अपने औजारों को साफ कर उनकी पूजा करते है।
जहा पर मेला भरा होता है वहा स्याम को घर के बच्चे बड़े और महिलाये मेले का आनद लेने के लिए घर से त्यार होकर जाते है। रामलीला मैदान में तीन पुतलो को बनाया जाता है रावण, मेघनाथ, कुम्ब्करण जिनको श्रीराम के हाथो अगनि देकर जलाया जाता है और बड़ी ही धूम धाम से इस त्यौहार को मनाया जाता है।
रामलीला मेदान में ज्यादा भीड़ होने के कारण वहा पर उस जगह की पुलिस को भी तैनात किया जाता है ताकि आम जनता को किसी भी प्रकार की हानि का सामना न करना पड़े। और सभी सुरक्षित रूप से मेले का आनद ले सके। और सुरक्षित अपने घरो में वापस जा सके।
मेला खत्म होने के बाद में सभी अपने घरो में वापस जाने के लिए बहुत सी मिठाईया ले लेते है। इस दिन घरो में सोना चांदी का लाना भी शुभ माना जाता है। इसलिए बहुत से लोग अपने घरो में सोना चांदी भी लेजाते है और घर के अंदर पर्वेश करने से पहले घर की महिये उनकी थाली से आरती उतारती है।
यह माना जाता की आदमी अपनी बुराई को अगनि में जलाकर अच्छाई पर विजय प्राप्त करके आता है। और वो अपने साथ लाया हुआ सोने चांदी अपने बड़ो को देकर उनका आशीर्वाद लेता है।
और इसी स्याम को अपने पड़ोसियों को मिठाइयों और उपहारों का आदान प्रदान करके इस त्यौहार को मनाया जाता है। और इसके 21 दिन के बाद दीपावली को मनाया जाता है।
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हर त्यौहार अपनी वास्तविकता को भूलता जा रहा है और उसे समाज अपने नए ढंग से ही मनाता जा रहा है जो की बिलकुल गलत बात है।
दशहरे को अच्छाई पर बुराई की खुसी में मनाया जाता था लेकिन आज के युग में आदमीं आधुनिक के जाल में फास्ट चला जा रहा है। पहले हर के घरो में जाकर उन्हें बधाईया दी जाती थी लेकिन आज के समय में यह सब सिर्फ एक msg से होने लगा है।
रावण का धन होने के बाद में सब एक दूसरे के गले मिलते थे लेकिन आज के समय में बहुत से पटाखे जलाये जाते है जो की बहुत गलत है इससे हमारे पर्यावरण को ढेस पहुँचती है और वो दूषित हो जाता है।
इस त्यौहार पर अच्छाई की जीत होती थी लेकिन आज के समय में जीत बुराई की होती है क्युकी बहुत से लोग इस दिन जुआ खेलते है और जश्न के रूप में बहुत सी मदिरा पान का सेवन करते है।
आज के आधुनिकता के त्योहारों में बहुत सा दिखावा होने लगा है लेकिन पुराणों में यह त्यौहार बहुत ही सादगी से मनाये जाते थे। लेकिन आज के समय में इन त्योहारों का महत्व सिर्फ पैसो की फिजूल ख़र्ची और समय की बर्बादी तक ही सिमित कर दिया गया है। और बहुत से लोग तो इन त्योहारों को धार्मिंक पाखंड कहकर इन सब से काफी दूर होते जा रहे है।
हमे इन सब चीज़ो को दूर रखना होगा और त्योहारों को बहुत ज्यादा दिखावा न करके आम संदगी तरिके से अपनों के साथ खुसी- खुसी मनाना होगा।
Conclusion
आज की पोस्ट में हमने चर्चा की दशहरे को क्यों मनाया जाता है और कैसे हम अपने त्योहारों की वास्तविकता को खोते जा रहे है अगर आपको पोस्ट अछि लगी तो आप अपने दोस्तों के साथ शेयर करने भूलिए। अगर आपको पोस्ट में कही कोई कमी लगी हो तो आप हमे कांटेक्ट करके अपने सुझाव दे सकते है। ऐसे त्योहारों के बार में जानने के आप Securhindi.com पर आते रहिये और अगर आपका किसी भी पोस्ट को लेकर कोई भी प्रश्न हो तो भी आप हमे पूछ सकते है।