तो दोस्तों आज हम बात करने वाले है Rom के बारे में यह क्या होती है और कैसे काम करती है। अपने Rom का नाम तो पहले भी सुना ही होगा। लेकिन अगर आप Rom के बारे में और भी गहराई से जानना चाहते है
तो आप बिकुल सही पोस्ट पर आये है। आज हम आपको Rom के बारे में सभी जानकारी इस पोस्ट के माध्यम से देने वाले है।
Rom kya hai ?
Rom की फुल फॉर्म “Read only memory” होती है इसके अंदर के प्रोग्राम को सिर्फ read कर सकते है उसे हम न तो commands दे सकते है और न ही उसमें किसी भी टाइप के कोई बदलाव कर सकते है
Rom को बनाते टाइम ही उसके अंदर के प्रोग्राम को डिज़ाइन किया जाता है एक बार बनने के बाद में उस प्रोग्राम में कोई बदलाव नहीं किया जा सकता है उसे बनाने वाले वाले ने एक बार जो प्रोग्राम बना दिया फिर वो फिक्स हो जाता है।
Rom के अंदर के प्रोग्राम को कंप्यूटर या कोई अन्य डिवाइस read करके परफॉर्म करता है आएये इसे एक उदाहरण सहित समझते है,
मान लीजिये की आपने अपने डिवाइस के अंदर 4 या 5 अप्प्लिकशिन साथ में ओपन किये हुए है और डिवाइस के बंद होने के बाद में वो एप्लीकेशन आटोमेटिक बंद हो जाती है। यानी पावर off होने के बाद में डिवाइस के अंदर की एप्लीकेशन खुद ही बंद हो जाती है
तो यह सब कार्य कोई भी डिवाइस Rom की सहायता से कर पाता है Rom के अंदर दिए गए commands को read करके डिवाइस अपने एप्लीकेशन को run करता है। तो यह सब एक ROM की मदद के कारन से हो पाता है। हम उम्मीद करते है की आपको पता चल गया होगा की ROm क्या होता है और कैसे काम करती है।
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Types Of Rom ?
आमतौर पर कंप्यूटर को चालू करने का काम Firewarm का है जो की Rom में होता है आपको बता दे कंप्यूटर को चालू होने की कमांड भी Rom के द्वारा दी जाती है। Rom को 4 भागो में बाटा गया है जिनको निचे और अच्छे से expalin किया गया है।
MROM (Masked read only memory)
MROM को सबसे पहले रखा गया है लेकिन आजकल के समय में इसका इस्तमाल करना काफी काम हो गया है पहले के devices में इसका इस्तमाल काफी किया जाता था लेकिन टेक्नोलॉजी के बढ़ते इस चलन में इसका इस्तमाल होना बंद हो गया है
क्युकी दोस्तों इस जब manufacture किया जाता है तो उसी समय इसमें जो programe बना दिया जाता है वो प्रोग्राम फिक्स हो जाता है
उसे बाद में बदला नहीं जा सकता है और न ही उसमें कोई अन्य commands को ऐड किया जा सकता है और उस समय में ये ROM काफी costly भी होती थी। अगर इस टाइप की Rom में किसी प्रकार की कोई खराबी आए जाती थी।
तो पूरी ROM को बदलना पड़ता था क्युकी इसमें Pre-programme Run होता था।
PROM (Progammable read only memory )
दोस्तों PROM को दूसरे नंबर पर रखा गया है क्युकी इसे एक बार अपडेट किये जाता है मतलब जब इस चिप को मनुफक्टोरे किया जाता है
तो यह बिकुल blank यानी खाली होती है इसमें किसी भी प्रकार का कोई भी प्रोग्राम नहीं होता है यूजर इसे बिलकुल खाली खरीदता है और फिर इसमें अपने हिसाब से प्रोग्राम को बनता है
लेकिन इसमें एक बार प्रोग्राम को अपडेट करने के बाद में उसमें कोई भी बदलाव नहीं किया जा सकता है। लेकिन यूजर को एक मौका जरूर मिलता है
अपने हिसाब से अपनी चिप को अपडेट करने का अपडेट के बाद में यूजर उसमें कोई बदलाव नहीं कर सकते है। इस चिप में छोटे- छोटे ‘fuse’ होते है जिनकी मदद से यूजर इसे डिज़ाइन कर पाटा है।
EPROM ( Eraseble and programmable read only memory )
आपको जैसा इसके नाम से ही पता चल रहा है की इसका एक बार इस्तमाल करने के बाद में इसके डाटा को Erase करके दोबारा से इस्तमाल किया जा सकता है।
यह ROM के पहले वाले 2 भागो से बिलकुल ही अलग है उनका दोबारा इस्तमाल नहीं किया जा सकता है लेकिन इसे हम दोबारा से इस्तमाल कर सकते है।
दरअसल में दोस्तों जब हम इस तरह की चिप को खीरदते है तो इस चिप के साथ में एक पारदर्शी ग्लास भी दिया जाता है जिकी मदद से हम कुछ विषेस प्रकार की परबंगनी किरणों को चिप पर डालते है
जिस से चिप पर मौजूद डाटा इरेस हो जाता है और फिर हम उसका दोबारा से इस्तमाल कर सकते है।
EEPROM ( Eliectrically Eraseable and programmable read only memory )
जैसे अपने ऊपर पढ़ा दोस्तों की बहुत सी छिपो का इस्तमाल पहले के जमाने में होता था लेकिन आज के जमाने में उनका इस्तमाल नहीं होता उनकी बजाए में EEPROM चिप्स ने लेली है।
जो आज के चलन में काफी लोकप्रिय है और बहुत ही ज्यादा इस्तमाल की जाने वाली चिप है। चुकी इसके नाम से ही पता चल रहा है की इसका इस्तमाल यूजर 1 बार नहीं 2 बार नहीं बल्कि 1000 से भी ज्यादा बार कर सकता है
इस चिप के डाटा को आप बहुत बार erase करके बहुत बार rewrite कर सकते हो। एहि कारण है की यह चिप आज के जमाने में बहुत ज्यादा इस्तमाल की जाती है
लेकिन दोस्तों इस चिप में एक बार में डाटा को मिटाया जा सकता है लेकिन एक बार में लिखा नहीं जा सकता है जिस कारण से यह बहुत ही ज्यादा धीमी प्रिक्रिया है
Rom Kaise Kaam Krta hai ?
किसी भी डिवाइस में Rom एक Human के mind की तरह काम करता है जब आप अपने कंप्यूटर का इस्तमाल करते हो तो बाकी सब हार्डवेयर की मौजूदगी का पता होना Rom का काम होता है। चलिए दोस्तों इसे हम एक बहुत ही अच्छे उदाहरण की मदद से समझते है,
मान लीजिये की आपके पास आपकी human body है। लेकिन आपको यह कैसे पता चलेगा की उस body में आपके पास में 2 हाथ, 2 पाँव, 2 आँख, और 2 कान इत्यादि है।
आप इन सबसे से किस तरह का काम करवा सकते हो। यह सब जानकारी आपको आपके Mind के द्वारा पता चलती है की आपके पास क्या है और आप किस अंग से कोनसा काम करवा सकते हो। उसी प्रकार कम्प्यूटर्स को किन हार्डवेयर का इस्तमाल कब करना है और किस टाइप से करना है यह सब Rom के द्वारा पता लगता है।
इस तरह की मेमोरी को non-volatile मेमोरी भी कहा जाता है ROM को कंप्यूटर बनाते वक़्त ही बनाया जाता है क्युकी इसके अंदर के प्रोग्राम को दोबारा से डिजाइन नहीं किया जा सकता है लेकिन आजकल के समय में BIOS Chip मार्किट में आ गयी है।
जिनका इस्तमाल करने के बाद भी हम उनके डाटा को Erase करने के बाद में दोबारा से इस्तमाल कर सकते है लेकिन पहले बनने वाली ROm में कोई issue आने पर पूरी की पूरी ROm को बदलना पड़ता था।
Advantage OF Rom
दोस्तों अब तक अपने जान लिए है की Rom क्या होती है और कैसे काम करती है और इसका इस्तमाल कैसे करे ? लेकिन अब हम जानेगे की एक ROM की विवसेसताएं क्या होती है ।
. यह Ram की तुलना में काफी हद तक सस्ता होता है और उस से ज्यादा टिकाऊ भी होता है।
. इसकी मदद से हम डाटा को permanently स्टोर कर सकते है।
. इसमें प्रोग्राम लिखते समय काफी ध्यान रखना पड़ता है क्युकी एक बार प्रोग्राम लिखने के बाद में आप उसे दुबारा से बदल नहीं सकते है।
. इसे बार बार रिफ्रेश करने की जरूरत नहीं होती है
. यह Non-Voltile प्रोग्राम होता है यानी पावर के बंद होने के बाद में भी इसमें डाटा बिलकुल सुरक्षित रहता है।
Conclusion ?
आज की पोस्ट में हमने ROM के बार में बात की और सीखा की यह कैसे काम करती है और क्या होती है। हम उम्मीद करते है की जिस उम्मीद से हम पोस्ट को लिखते है
आपको हमारी पोस्ट पड़ने के बाद में उस टॉपिक के लिए कही और जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। अगर फिर भी आपका कोई न कोई सवाल रह जाता है टॉपिक को लेकर तो आप हमे निचे कमेंट में पूछ सकते है।
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